हास्य व्यंग "कवि सम्मलेन" बी०,एच०,ई०,एल० हरिद्वार
कवि वृन्द बांये से :-
सर्व श्री प्रदीप चौबे , डा० वारिज़ा , डा० रमा सिंह , सुरेन्द्र शर्मा , डा० हरिओम पंवार, अरुण जैमिनी ,
वेद प्रकाश , शहिद हसन शहिद ,सुभाष मलिक
Thursday, November 4, 2010
सर झुकाना छोड दो
विष उगलती रुढियों की बेड़ियों को तोड़ दो
प्रतिशोध की अगन में प्रेम रस निचोड़ दो
गिर ना जाए पैर पर किसी के पगड़ी आपकी
हर किसी के सामने ये सर झुकाना छोड दो
सुभाष मलिक
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