बेईमानी गुण्डागर्दी का जहर घुला परिवेश मे
एक एक के नाम पे मिलते अरबों के घोटाले
घूस खोर मक्कार बंने अब भारत के रखवाले
भूख पे भाषण देने वाले भोग लगाते छप्पन
इनमें से है कोई तेलगी और कोई वीरप्पन
धन जनता का लूट लूट कर भेज रहे प्रदेश में
कैसे जीवन रहे सुरक्षित गांधी तेरे देश में
घर के भीतर भी अब दहशत रहती है मक्कारों की
पंचायत और पुलिस चौकियां जेब में ठेकेदारों की
दो पाटों में जान फंसी है दुर्गे माँ चामुण्डा
आगे खद्दर धारी पीछे वर्दी वाला गुण्डा
पाखण्डी भी घूम रहे हैं अब साधु के वेष में
कैसे जीवन रहे सुरक्षित गांधी तेरे देश में
बेईमानी गुण्डागर्दी का जहर घुला परिवेश मे
कैसे जीवन रहे सुरक्षित गांधी तेरे देश में
सुभाष मलिक