आँख दिखाकर मेघा भागे
जून, जौलाई रहे अभागे
सावन से रूठी पुरवाई
झुलस गई सारी तरूणाई
खेत किसानी प्यासी तरसे
आग बरसती है अंबर से
सूखे पौखर भर दो मौला
अब तो वर्षा करदो मौला
सुभाष मलिक
जून, जौलाई रहे अभागे
सावन से रूठी पुरवाई
झुलस गई सारी तरूणाई
खेत किसानी प्यासी तरसे
आग बरसती है अंबर से
सूखे पौखर भर दो मौला
अब तो वर्षा करदो मौला
सुभाष मलिक
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