विषघट भरी छलाछल दुनिया चलना संभल संभल |
डगर- डगर यहाँ झूठ भरा है, पग-पग पर है छल |
चकाचौंध की मृगतृष्णा में, पल- पल भटक रहा रे
अभी समय है लालच की यह ,गठरी छोड निकल ||
सुभाष मलिक
डगर- डगर यहाँ झूठ भरा है, पग-पग पर है छल |
चकाचौंध की मृगतृष्णा में, पल- पल भटक रहा रे
अभी समय है लालच की यह ,गठरी छोड निकल ||
सुभाष मलिक