जिसने बांट दिया हिस्सों मे घर का आंगन,
मिलकर वह दीवार गिराऐं नऐ वर्ष में |
पीर भरे जीवन की इस जर-जर वीणा पर,
एक नया संगीत सजाएं नए वर्ष में |
दीन, हीन, लाचार, सदा जो रहे अभागे,
उनका घर आंगन महकाएं नए वर्ष मे |
जिसने संवादों में सदा सियासत बांटी,
उससे भी अब हाथ मिलाएं नये वर्ष में |
मेंहनत ओर साहस से ही मिलती है मंजिल
चलो नया संकल्प उठाएं नए वर्ष में |
सुभाष मलिक
लेखाधिकारी वित्त
बी एच ई एल हरिद्वार
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