Friday, March 30, 2012

सपनों का देश कहाँ है


गीता में जो दिया कृष्ण ने वह उपदेश कहाँ हैं
गौतम, गाँधी, नेहरू, के सपनों का देश कहाँ है

छोड नोकरी अफसर बाबु करते अब कविताई
वेतन सारा चाट गई हैं  यह जालिम महंगाई
महंगी चीनी हुई देश मे सस्ता बिकता गन्ना
भ्रष्टाचार घुसा नस नस में क्या करलेंगें अन्ना
तुलसी, मीर, कबिरा, वाला अब संदेश कहाँ है
गौतम, गाँधी, नेहरू, के सपनों का देश कहाँ है

कितना नीर बहरा उर घट में गंगा फिरती प्यासी
सब प्रदूसित कर डाला है क्या मथुरा क्या काशी
काले धन पर रामदेव को मिले  पुलिस के डंडे
सिंघासन पर जम कर  बैठे घूस खोर मुसटन्डे
एक वचन पर राज त्यागदे वह अवधेश कहां है
गौतम, गाँधी, नेहरू, के सपनों का देश कहाँ है

हाहा कार मचा जनता में जिनके प्रपंचों पर
उनका ही स्वागत होता है सभा और मंचो पर
राजनीति ने गाँधी जी की खींची खूब लंगोटी
लोकपाल पर सेक रहे सब अपनी अपनी रोटी
त्याग तपस्या बलिदानी वाला परिवेश कहाँ है
गौतम, गाँधी, नेहरू, के सपनों का देश कहाँ है

जिनके आश्वाष्नों की ही नीव टिकी घातों पर
अब विश्वास नही करना उनकी मीठी बातों पर
मुह में घास दबाकर बैठे खाते मुर्गी अंडे
एक ही थाली के बैंगन सब एक घाट के पंडे
जो देते वर्दान ज्ञान का वह दरवेश कहां है
गौतम गाँधी नेहरू के सपनों का देश कहाँ है

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